संगिनी हूं संग चलूंगी
------------------------
जब सींचोगे
पलूं बढूंगी
खुश हूंगी मै
तभी खिलूंगी
बांटूंगी
अधरों मुस्कान
मै तेरी पहचान बनकर
********
वेदनाएं भी
हरुंगी
जीत निश्चित
मै करूंगी
कीर्ति पताका
मै फहरूंगी
मै तेरी पहचान बनकर
*********
अभिलाषाएं
पूर्ण होंगी
राह कंटक
मै चलूंगी
पाप पापी
भी दलूंगी
संगिनी हूं
संग चलूंगी
मै तेरी पहचान बनकर
*********
ज्योति देने को
जलूंगी
शान्ति हूं मैं
सुख भी दूंगी
मै जिऊंगी
औ मरूंगी
पूर्ण तुझको
मै करूंगी
सृष्टि सी
रचती रहूंगी
सर्वदा ही
मै तेरी पहचान बनकर
**********
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ,
भारत