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Tuesday, 20 April 2021

संगिनी हूं संग चलूंगी

 संगिनी हूं संग चलूंगी

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जब सींचोगे

पलूं बढूंगी

खुश हूंगी मै

तभी खिलूंगी

बांटूंगी

 अधरों मुस्कान

मै तेरी पहचान बनकर

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वेदनाएं भी

 हरुंगी

जीत निश्चित 

मै करूंगी

कीर्ति पताका

मै फहरूंगी

मै तेरी पहचान बनकर

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अभिलाषाएं 

पूर्ण होंगी

राह कंटक

मै चलूंगी

पाप पापी

भी दलूंगी

संगिनी हूं

संग चलूंगी

मै तेरी पहचान बनकर

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ज्योति देने को

जलूंगी

शान्ति हूं मैं

सुख भी दूंगी

मै जिऊंगी

औ मरूंगी

पूर्ण तुझको

मै करूंगी

सृष्टि सी 

रचती रहूंगी

सर्वदा ही

मै तेरी पहचान बनकर

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ,

भारत

Sunday, 18 April 2021

चंदा मामा कल ना आना

 चंदा मामा कल ना आना

मम्मी जी की थाली में

पुए भी मीठे नहीं बनाना

दूध न देना प्याली में

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बोला हूं मम्मी को अपनी

मुझे झिंगोला एक सिलाओ

ऊंची सी बनवा दो सीढ़ी

' मामा ' से चल मुझे मिलाओ

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नहीं तो चिड़ियों से मिल करके

पवन पुत्र सा मै आऊंगा

सैर करूं नभ तुझ संग मामा

हाथों तेरे ही खाऊंगा

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश,

भारत