Tuesday, 24 April 2012

मै खुश्बू हूँ


मै खुश्बू हूँ
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पुष्प हमारे जीवन दाता
वही हमारे भाग्य विधाता
अंक भरे जीवन भर पालें
मधु -पराग से ज्यादा मानें

मै  उडती तितली सी ही हूँ
बड़ी दूर तक जाऊं
कलियाँ तितली भौंरों के संग
खेल-खेल इतराऊँ
मुझसे आकर्षित हो - हो के
लोग खिंचे ही आयें
मात -पिता को मेरे देखे
और ख़ुशी हो जाएं
मांग सकें ना उनसे मुझको
मै तो उनकी जान
सदा रहूंगी जग में प्यारी
बन उनकी पहचान



खिला रहे गुल-गुलशन अपना
दूर भले ही जाऊं
जब जी चाहे -प्यार उमड़ता
भागी घर आ जाऊं
रंजो गम दुनिया के दिल के
"हर"  -खुशियाँ -दे जाऊं
ख़ुशी -ख़ुशी मुस्काते चेहरे
देख -देख अति खुश हो जाऊं
जो निर्मल -मन-प्रेमी मिलता
दिल में मै बस जाऊं
मै खुश्बू हूँ !!
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सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५
मेरे ब्लॉग "खुश्बू" से उद्धृत
७.३५-७.४८ पूर्वाह्न
                            कुल्लू यच पी २४.४.१२

3 comments:

  1. प्रिय मित्रों आप सब का स्नेह आकांक्षित है इस चिट्ठे पर भी अपना समर्थन और सुझाव बनाये रखें
    भ्रमर ५

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  2. फूल, बगिया, खुशबू, तितली ...
    इन सब सुमधुर प्रतीकों को लेकर
    बहुत ही प्रभावशाली काव्य प्रस्तुत किया है .....
    अभिवादन .

    "दानिश"

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  3. हार्दिक आभार आप का दानिश जी ...अपना स्नेह बनाये रखें
    भ्रमर ५

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आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं स्नेह बनाये रखें -भ्रमर ५