Tuesday 20 April 2021

संगिनी हूं संग चलूंगी

 संगिनी हूं संग चलूंगी

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जब सींचोगे

पलूं बढूंगी

खुश हूंगी मै

तभी खिलूंगी

बांटूंगी

 अधरों मुस्कान

मै तेरी पहचान बनकर

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वेदनाएं भी

 हरुंगी

जीत निश्चित 

मै करूंगी

कीर्ति पताका

मै फहरूंगी

मै तेरी पहचान बनकर

*********

अभिलाषाएं 

पूर्ण होंगी

राह कंटक

मै चलूंगी

पाप पापी

भी दलूंगी

संगिनी हूं

संग चलूंगी

मै तेरी पहचान बनकर

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ज्योति देने को

जलूंगी

शान्ति हूं मैं

सुख भी दूंगी

मै जिऊंगी

औ मरूंगी

पूर्ण तुझको

मै करूंगी

सृष्टि सी 

रचती रहूंगी

सर्वदा ही

मै तेरी पहचान बनकर

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ,

भारत

13 comments:

  1. 👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका, प्रोत्साहन कृपया यूं ही बनाए रखें। राधे राधे।

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक आभार आपका, जय श्री राधे

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन,,सादर नमन

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  4. बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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  5. बहुत सुंदर सृजन।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आप का, जय श्री राधे।

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  6. हृदय विजित कर लिया इस गीत ने मेरा।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आप का बन्धु, जय श्री राधे।

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  7. हार्दिक आभार आप का ,रचना को चर्चा मंच पर स्थान मिला खुशी हुई, राधे राधे।

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  8. बहुत बहुत धन्यवाद आपका , राधे राधे

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद आप का आदरणीया, जय श्री राधे।

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