Pages

Tuesday, 20 April 2021

संगिनी हूं संग चलूंगी

 संगिनी हूं संग चलूंगी

------------------------

जब सींचोगे

पलूं बढूंगी

खुश हूंगी मै

तभी खिलूंगी

बांटूंगी

 अधरों मुस्कान

मै तेरी पहचान बनकर

********

वेदनाएं भी

 हरुंगी

जीत निश्चित 

मै करूंगी

कीर्ति पताका

मै फहरूंगी

मै तेरी पहचान बनकर

*********

अभिलाषाएं 

पूर्ण होंगी

राह कंटक

मै चलूंगी

पाप पापी

भी दलूंगी

संगिनी हूं

संग चलूंगी

मै तेरी पहचान बनकर

*********

ज्योति देने को

जलूंगी

शान्ति हूं मैं

सुख भी दूंगी

मै जिऊंगी

औ मरूंगी

पूर्ण तुझको

मै करूंगी

सृष्टि सी 

रचती रहूंगी

सर्वदा ही

मै तेरी पहचान बनकर

**********

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ,

भारत

13 comments:

  1. 👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका, प्रोत्साहन कृपया यूं ही बनाए रखें। राधे राधे।

      Delete
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका, जय श्री राधे

      Delete
  3. बहुत ही सुंदर सृजन,,सादर नमन

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आप का, जय श्री राधे।

      Delete
  6. हृदय विजित कर लिया इस गीत ने मेरा।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आप का बन्धु, जय श्री राधे।

      Delete
  7. हार्दिक आभार आप का ,रचना को चर्चा मंच पर स्थान मिला खुशी हुई, राधे राधे।

    ReplyDelete
  8. बहुत बहुत धन्यवाद आपका , राधे राधे

    ReplyDelete
  9. बहुत बहुत धन्यवाद आप का आदरणीया, जय श्री राधे।

    ReplyDelete

आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं स्नेह बनाये रखें -भ्रमर ५