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Sunday, 15 July 2012

कोख को बचाने को भाग रही औरतें


कोख को बचाने को भाग रही औरतें 
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ये कैसा अत्याचार है 
'कोख' पे प्रहार है 
कोख को बचाने को 
भाग रही औरतें 
दानवों का राज या 
पूतना का ठाठ  है 
कंस राज आ गया क्या ?
फूटे अपने भाग है ..
रो रही औरतें 
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उत्तर , मध्य , बिहार  से 
'जींद' हरियाणा चलीं 
दर्द से कराह रोयीं 
आज धरती है हिली 
भ्रूण हत्या 'क़त्ल' है 
'इन्साफ' मांगें औरतें ....
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जाग जाओ औरतें हे !
गाँव क़स्बा है बहुत 
'क्लेश' ना सहना बहन हे 
मिल हरा दो तुम दनुज 
कालिका चंडी बनीं 
फुंफकारती अब  औरतें ...
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कृष्ण , युधिष्ठिर अरे हे !
हम सभी हैं- ना -मरे ??
मौन रह बलि ना बनो रे !
शब्दों को अपने प्राण दो 
बेटियों को जन जननि हे !
संसार को संवार दो 
तब खिलें ये औरतें 
कोख को बचाने जो 
भाग रहीं औरतें 
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'  
१४.७.२०१२
८-८.३८ मध्याह्न 
कुल्लू यच पी 

4 comments:

  1. बहुत खूब !
    शुभकामनायें आपको !

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  2. आदरणीय सतीश जी धन्यवाद और आभार आप का ...
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  3. मंगलवार 12/03/2013 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
    आपके सुझावों का स्वागत है .... !!
    धन्यवाद .... !!

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  4. सार्थक और सुंदर रचना .....
    आप भी पधारो स्वागत है ...
    http://pankajkrsah.blogspot.com

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