फूल सी रहती सदा खिली
सब की चाँद खिलौना बिटिया
मुस्काती ही सदा मिली
देवी का प्रतिरूप है बिटिया
रचती जग को सदा रही
आँखों का तारा है बिटिया
रोशन जग को करती
लक्ष्मी सरस्वती है बिटिया
मीठी वाणी से गृह भरती
ये पराग है मधु है बिटिया
खुश्बू तन मन भरती
माँ पापा की प्यारी बिटिया
दिल में सदा ही बसती !
भ्रमर५
६.२५-६.३३ मध्याह्न
कुल्लू यच पी
२२.०४.२०१२
प्रिय मित्रों मेरे इस नए चिट्ठे में आप का हार्दिक स्वागत है कृपया अपना स्नेह इस पर भी बरसायें
ReplyDeleteभ्रमर ५